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बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2634
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान

प्रश्न- आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए। (क) मसाले (ख) तृण धान्य।

अथवा
दैनिक आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए।
अथवा
भारतीय आहार में अनाजों का महत्व बताइए।

उत्तर-

सभी खाद्य पदार्थ हमें या तो वनस्पति जगत से प्राप्त होते हैं अथवा पशु जगत से मिलते हैं, इसी कारण प्राप्ति के साधन के आधार पर हम भोजन को निम्नलिखित दो प्रकारों से विभाजित करते हैं -

खाद्य पदार्थ
वनस्पति जगत
से प्राप्त खाद्य पदार्थ
पशु जगत
से प्राप्त खाद्य पदार्थ

 

वनस्पति जगत् से प्राप्त खाद्य पदार्थ

यह सभी खाद्य पदार्थ हमें पेड़-पौधों से प्राप्त होते हैं। अतः इन्हें हम वनस्पतिक प्रदत्त पदार्थ कहते हैं। यह पदार्थ निम्नलिखित हैं-

अनाज (Cereals)

यह मनुष्य का मुख्य खाद्य है। इसमें चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा, मकई, जौ और जई इत्यादि हैं। आदत और वातावरण के अनुसार और जहाँ जिस अन्न की अधिकता होती है, वहाँ उसका उपयोग अधिक होता है। भारत, जापान, चीन, लंका, जावा और सुमात्रा में चावल का उपयोग अधिक होता है। यूरोप तथा अमेरिका में गेहूँ और मकई का उपयोग होता है।

संगठन- अन्न में प्रोटीन कम मात्रा में होता है और वह भी अन्न की जाति पर निर्भर करता है। कार्बोज 60-80%, प्रोटीन 6-12% और वसा नाममात्र की होती है। खनिजों में लोहा, सल्फर, फास्फोरस, चूना, सोडियम और मैग्नीशियम के लवण होते हैं। विटामिन डी की कमी से चूने का समीकरण ठीक से नहीं होता है।

अनाज की संरचना - अनाज के प्रत्येक दाने में निम्नलिखित भाग होते हैं-

1. छिलका (Bran Covering) इसकी रचना सेल्यूलोज से बनी होती है तथा इसमें विटामिन और खनिज तत्व पाए जाते हैं। यह दाने का बाहरी आवरण होता है। यह दाने की रक्षा करता है, भूसी का निर्माण इसके अलग होने पर होता है।

2. एल्यूरॉन (Aleurone) बीज का वह भाग प्रोटीन, थायमिन तथा फास्फोरस से बनता है तथा छिलके के नीचे स्थित होता है।

3. भ्रूणपोष (Endosperm) बीज के इस भाग का निर्माण स्टार्च, प्रोटीन, वसा तथा खनिज पदार्थों के योग से होता है। यह भाग बीज का प्रमुख भाग होता है

4. जनन कोशिका (Green Cell) यह भाग बीज के अंकुरण वाला स्थान है। इसमें राइबोफ्लेबिन अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रोटीन तथा वसा भी कुछ मात्रा में उपलब्ध होती है।

अनाजों की उपयोगिता

1. अनाज शरीर में सर्वाधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं।-

2. अनाजों के द्वारा विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों का निर्माण होता है जिसके कारण भोजन में विविधता उत्पन्न हो जाती है और वह अधिक स्वादिष्ट एवं आकर्षक दिखाई देता है। 

3. यह अधिकांशतः सुपाच्य होते हैं।

गेहूँ - अन्नों में यह सर्वोत्तम माना जाता है। इसके उपयोग से मनुष्य ज्यादा बलिष्ठ और स्वस्थ

गेहूँ से बनने वाले खाद्य पदार्थ पाव रोटी, बिस्कुट, केक, मैकरोनी, कचौड़ी, चपाती, रोटी, पराठे। इसके अतिरिक्त इससे मीठी चीज जैसे मिठाइयाँ, बालूशाही, हलवा, सेवई अनेक खाद्य पदार्थ बनते हैं। पाव रोटी का उपयोग पाश्चात्य देशों में अधिक होता है। यह मुलायम और हल्की होती है। स्पंजी होने के कारण इसको आसानी से पचाया जा सकता है।

चना - चना भी अनाजों का एक मुख्य प्रकार है तथा इसका प्रयोग अनेक रूपों में किया जाता है। इसकी एक विशेषता यह है कि अनाजों की श्रेणी का सदस्य होने पर भी इसे दाल के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है। चने के द्वारा हमें आयरन व प्रोटीन तत्वों की प्राप्ति होती है। अंकुरित चने का प्रयोग शरीर को ऊर्जा व पौष्टिकता प्रदान करता है।

चावल जहाँ धान की उत्पत्ति अधिक होती है, वहाँ के लोग चावल का अधिक उपयोग करते हैं। भारत में असम, बिहार, बंगाल, मद्रास और उड़ीसा के लोग इसका उपयोग अधिक करते हैं। भारत में चावल दो प्रकार के होते हैं- भुजिया और अरवा।

जौ (Barley) - यह पौष्टिक अन्न है। इसमें खनिज की मात्रा अधिक होती है। प्रोटीन भी करीब-करीब गेहूँ के बराबर है।

जई - इसमें पौष्टिक शक्ति अधिक होती है। गेहूँ की तरह इसमें ग्लुटीन नहीं होता है। इसका प्रोटीन गेहूँ के प्रोटीन से अलग होता है।

ज्वार और बाजरा जहाँ ये अधिक पैदा होता है, वहाँ इसका उपयोग, बिहार और बंगाल की अपेक्षा ज्यादा होता है। खाद्य के रूप में इसका व्यवहार गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कुछ अन्य प्रान्तों में होता है।

मकई - खाद्य के रूप में इसका प्रयोग भारत के अतिरिक्त इटली, यूरोप और अमेरिका में भी होता है। इसमें भी ग्लूटिन नामक प्रोटीन नहीं है, इसकी भी रोटी गेहूँ के समान पतली नहीं बनायी जा सकती है। इसमें प्रोटीन व वसा दोनों हैं। सिर्फ मकई और दूषित मकई के प्रयोग से प्लेगरा नामक रोग हो जाता है। मकई का शोषण आँतों में अच्छी तरह से होता है।

दलहन वर्ग अथवा दालें (Pulses) जो मनुष्य अपनी आर्थिक दुःस्थिति के कारण दूधॠ माँसऋ मछली और पाशविक प्रोटीन का उपयोग नहीं कर पाते हैं उनके लिए दाल अति उपयोगी है। दालों में विशेष रूप से प्रोटीन होता है। कुछ दालों में प्रोटीन 12 और कार्बोज 1 3 अनुपात में होते हैं।

सोयाबीन यह भी एक प्रकार का दलहन है। इसका प्रयोग पहले चीन एवं जापान में हुआ। इन दिनों इसका प्रयोग भारतवर्ष में भी होने लगा है। इसका उत्पादन मध्य प्रदेश में सबसे अधिक होता है। दालों में ये सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसमें प्रोटीन सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है और अन्य दालों से इसका प्रोटीन उत्तम दर्जे का होता है।

मसूर इसमें विटामिन 'बी' अधिक होता है। खनिज लवण में लोहा व फास्फोरस होता है। प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। दालों के प्रोटीन से प्यूरीनिक और यूरिक एसिड उत्पन्न होता है। इसलिए वात के रोगी को दाल अधिक नहीं खानी चाहिए। दाल का स्थान खाद्य में अति आवश्यक है।

कंद और मूल (Roots and Tubers) - इस वर्ग में आलू, शकरकन्दॠ मिश्रीकन्द, जिमीकंद, आडू ( खमरख्या), तिकानी और खुमानी हैं, जो जमीन के अन्दर बैठते हैं। इन्हें बन्द कहते हैं। इन्हें पकाकर खाया जाता है। इसमें कार्बोज की प्रधानता होती है। इसके बाद मूलीऋ गाजरॠ शलजम एवं चुकन्दर है, जो जड़ के रूप में रहते हैं।

आलू - इस वर्ग में सबसे विशेष पदार्थ आलू है, जिसका उपयोग सारे संसार में होता है। आलू की पाच्यता इसके पकाने की विधि पर निर्भर करती है। उबला हुआ आलू जल्दी तथा तला हुआ आलू जल्दी नहीं पचता है।

शकरकन्द - इसमें कार्बोज और शर्करा दोनों पाए जाते हैं, इसलिए यह अधिक मोटा होता है। इसको भी आलू की तरह आग में भून और उबालकर खाया जाता है। इसमें कार्बोज 16 प्रतिशत और शर्करा 12 प्रतिशत है।

गाजर - इसकी भी कई जातियाँ होती हैं, जिनमें एक काली और दूसरी नारंगी रंग की या पीली होती है। इसमें विटामिन 'ए' पाया जाता है।

फल व सब्जियाँ
(Fruits and Vegetables)

सब्जियाँ (Vegetables)- किसी पेड़ अथवा पौधे के जड़, तना, पत्ती, फूल अथवा फल को पकाकर, तलकर भूनकर अथवा कच्चा प्रतिदिन खाने अथवा भोजन के साथ प्रयोग किये जाने वाला पदार्थ सब्जी कहलाता है।

पौधे से प्राप्ति के आधार पर सब्जियों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है

जड़दार सब्जियाँ- इन सब्जियों में पौधे की जड़ का प्रयोग किया जाता है। जैसे मूली, गाजर, शलजम आदि। इनमें कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में होता है।

कंददार सब्जियाँ इसमें पौधे के तने का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है, जैसे आलू, अरबी, अदरक, प्याज, शकरकन्द, जिमीकन्द आदि। इनमें भी कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है।

पत्तेदार सब्जियाँ - इसके अंतर्गत पौधे की पत्तियों को सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है। जैसे पालक, मैथी, बथुआ, धनिया, पोदीना, चौलाई, सरसों का साग आदि। इनमें आयरन, विटामिन 'A' कैल्शियम, थायमिन, राइबोफ्लेबिन पाया जाता है।

फूलदार सब्जियाँ इनके अंतर्गत पौधे का फूल के रूप में प्रयोग किया जाता है, जैसे- गोभी, सहजन के फूल तथा कचनार के फूल आदि। इन सब्जियों में विटामिन 'A' थायमिन, विटामिन 'C' आदि मिलते हैं।

बीजदार सब्जियाँ इसके अंतर्गत सेम, मटर, चना, लोबिया, राजमा तथा सोयाबीन आदि आते हैं। इन सब्जियों में प्रोटीन तथा खनिज लवण और विटामिन मिलते हैं। शरीर को स्वस्थ व क्रियाशील बनाए रखने के लिए सब्जियों का नियमित प्रयोग करना आवश्यक है।

आहार में सब्जियों का महत्व या कार्य
(Importance of Vegetables in Food)

शाक-भाजियाँ सुरक्षात्मक खाद्य पदार्थों के अन्तर्गत आती हैं। हमारे दैनिक आहार में सब्जियों का बहुत महत्व है। दैनिक आहार में संतुलित भोजन के लिए इनका प्रयोग करना आवश्यक है। एक दिन से कम से कम एक बार हरी पत्तेदार सब्जी तथा दो या दो से अधिक बीज, जड़ या तने वाली सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए। यदि आहार में कच्ची सब्जियों का उपयोग किया जाये तो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। टमाटर, प्याज, ककड़ी, हरी मिर्च, गाजर, नींबू आदि को सलाद के रूप में ही कच्चा खाया जा सकता है। मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए सलाद का उपयोग बहुत लाभप्रद होता है क्योंकि इससे पेट भी भर जाता है तथा इसमें कैलोरी भी कम होती है। इनमें रेशे या सेलुलोज की अधिकता होने के कारण कब्ज के लिए भी यह अत्यन्त लाभदायक होता है। इन्हें सुरक्षात्मक भोज्य पदार्थ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह शरीर को खनिज लवण तथा विटामिन प्रदान करती है।

फल ( Fruits) - फल पौधे का वह भाग है जो पुष्प से विकसित होता है। सामान्यतः ये गूदेदार और रसीला होता है।

रसीले फल - इन फलों में विटामिन 'C' टारटैरिक अम्ल तथा साइट्रिक अम्ल पाया जाता है, जैसे सन्तरा, मुसम्मी, नारंगी, नीबू, अंगूर आदि।

सूखे तथा गुठलीदार फल- इन फलों से आयरन तथा कार्बोहाइड्रेट की प्राप्ति होती है, जैसे- खजूर, अंजीर, खुमानी, फैरी आदि।

गूदेदार फल इन फलों के सम्पूर्ण गूदेदार भाग को खाने में प्रयोग किया जाता है, जैसे- सेब, नाशपाती, शरीफा, केला, आम, खरबूजा आदि।

फल एवं उनकी उपयोगिता

अनानास यह रसीला और स्वादिष्ट फल होता है। यह प्रोटीन के पाचन में सहायक होता है।

नारंगी यह रसीली, स्वादिष्ट, मीठी, रुचिकर, शीतल, भूख बढ़ाने वाली और वुमन को रोकने वाली होती है। इसमें विटामिन 'सी' होता है। स्कर्वी के रोगियों के लिए लाभदायक होती है। इसमें जम्बीरिक अम्ल, शर्करा लवण और भास्वरीय अम्ल होता है।

नीबू इसमें जाम्बरिक अम्ल और विटामिन 'सी' होता है तथा सोडियम व पोटेशियम के लवण भी होते हैं। यह ठण्डा, प्यास बुझाने वाला और भूख बढ़ाने वाला होता है। गर्मी में इसका शर्बत प्यास बुझाता है तथा शीतलता प्रदान करता है।

आँवला- आँवले में सबसे अधिक संतृप्त विटामिन 'सी' होता है। इसको विटामिन 'सी' का भण्डार माना गया है

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आम - इस फल को 'अमृत फल' कहते हैं। यह मौसमी फल है और साल में एक बार फलता है। यह जिस साल कम फलता है, अधिक महंगा बिकता है। सभी प्रकार के कच्चे आम खट्टे होते हैं।

चीनी (Sugar)- चीनी प्रत्येक व्यक्ति के भोजन में नियमित रूप से सम्मिलित होने वाला पदार्थ है। चीनी का प्रयोग खाद्य पदार्थ को मीठा करने के लिए किया जाता है। चीनी का निर्माण गन्ने के रस से किया जाता है।

गुड़ (Jaggery) गुड़ का निर्माण गन्ने के रस से होता है। चीनी की अपेक्षा गुड़ का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक होता है, क्योंकि चीनी को साफ तथा रवेदार बनाने की प्रक्रिया में उसके अनेक पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। गुड़ में कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में होता है।

सूखे मेवे (Dry Fruits) जिन फलों का अन्दर का भाग कुछ नर्म होता है तथा बाहरी आवरण सूखकर कड़ा हो जाता हैॠ मेवा (dry fruits) कहलाते हैं। यह अत्यधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थ होते हैं। इसमें प्रोटीनॠ वसाॠ खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते हैं।

तेल (Oils) अनेक पौधों के बीज से तेल प्राप्त होता है तथा शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। तेल का प्रयोग विभिन्न खाद्य पदार्थों को पकाने के लिए किया जाता है लेकिन कुछ प्रकार के तेलों का प्रयोग औषधि आदि के रूप में किया जाता है।

औषधियाँ (Medicines)- अनेक प्रकार की औषधियाँ हमें पेड़-पौधों से प्राप्त होती हैं। आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण पूर्णतः वानस्पतिक पदार्थों से होता है। इसके अतिरिक्त एलोपैथिक औषधियों में जीवनरक्षकॠ पेंसलिन भी वनस्पति जगत की देन है।

अन्य पदार्थ व्यक्ति के द्वारा ऐसे पदार्थों का प्रयोग भी खाद्य पदार्थ के रूप में किया जाता है जो भोजन की श्रेणी में नहीं आते हैं, जैसे पान तम्बाकू आदि। यह पदार्थ हमें वनस्पतियों द्वारा ही मिलते हैं। यद्यपि इनका प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है फिर भी आजकल इसका प्रयोग बहुतायत में किया जाता है।

पशु जगत से प्राप्त खाद्य पदार्थ

वे खाद्य पदार्थ जो हमें पशुओं से प्राप्त होते हैं, पशु जगत से प्राप्त खाद्य पदार्थ कहलाते हैं। यह निम्नलिखित हैं.

1. माँस और मछली (meat and fish), 2. अण्डा (egg), 3. दूध (milk), 4. शहद ( honey) |

माँस और मछली (Meat and Fish) यूरोप तथा अन्य ठण्डे देशों में मांस का प्रयोग नियमित भोजन के रूप में किया जाता है। हमारे भारत वर्ष में भी कुछ लोगों द्वारा मांस का प्रयोग किया जाता है तथा पूर्वी उ. प्र. और बंगाल आदि प्रान्तों में मछली का खाद्य पदार्थ के रूप में अधिक प्रयोग किया जाता है।

दूध (Milk)

दूध की रासायनिक संरचना- दूध में निम्नलिखित पोषक तत्व पाए जाते हैं -

वसा- दूध में पायस (Emulsion) रूप में वसा पायी जाती है जिसकी मात्रा लगभग 3.8% होती है। यह एक सुपाच्य वसा है। दूध में पायिरिक, ओलीक, ब्यूटेरिक वसीय अम्ल पाये जाते हैं।

कार्बोहाइड्रेट- दूध में लैक्टोज नाम का कार्बोहाइड्रेट मिलता है। इसकी मात्रा 4.8% होती है। माँ के दूध में लैक्टोज की मात्रा सर्वाधिक होती है। यह एक ऊर्जा प्रदान करने वाला पदार्थ है जो पाचन क्रिया में भी सहायता देता है। .

प्रोटीन- दूध में 3.5% प्रोटीन पाया जाता है। इसमें पाए जाने वाले मुख्य प्रोटीन- कैसीन, लैक्टएल्बूमिन तथा लैक्टएलोबिन है जिनमें नाइट्रोजन तत्व मुख्य रूप में मिलता है।

खनिज तत्व - दूध में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस तथा आयरन आदि खनिज लवण कार्बोनेट, सल्फेट, फास्फेट तथा फ्लोराइड तथा क्लोराइड के रूप में मिलते हैं। कुछ मात्रा में मैग्नीशियम, आयोडीन तथा पोटैशियम भी मिलते हैं। यह तत्व जल में कोलाइडल अवस्था में रहते हैं तथा दूध को पौष्टिकता प्रदान करते हैं।

दूध के प्रकार

1. ताजा दूध (Fresh Milk)- गाय, भैंस, बकरी आदि से प्राप्त दूध ताजा दूध कहलाता है। स्वास्थ्य के लिए यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है तथा इसमें सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं।

2. पाउडर दूध ( Powder Milk) इसे ताजे अथवा वसा रहित दूध से बनाया जाता है। इसको बनाने के लिए दूध में पाये जाने वाले जल को पूर्ण रूप से सुखा दिया जाता है और पाउडर बनाकर इसे वायु रहित डिब्बों में सील बन्द कर दिया जाता है। इसका प्रयोग प्रायः किसी कारणवश माँ का दूध न पी पाने वाले बच्चों के लिए लाभकारी होता है।

3. वसा रहित दूध (Skimmed Milk) जिस दूध से वसा को अर्थात् मक्खन अलग कर लिया जाता है, वह वसा रहित कहलाता है। वसा रहित दूध में विटामिन बी की मात्रा भी बहुत कम हो जाती है। अतः स्वस्थ लोगों तथा विकास की अवस्था वाले बच्चों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

4. गाढ़ा दूध (Condensed Milk) पानी की मात्रा को लगभग दो तिहाई सुखाकर गाढ़ा दूध प्राप्त किया जाता है। डिब्बों अथवा बोतलों में इसका संरक्षण करते समय इसमें कुछ मात्रा में चीनी मिला दी जाती है जिससे इसमें कुछ कैलोरी ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है। आजकल प्रचलित मिल्कमेड इसी प्रकार का दूध है।

शहद (Honey)

शहद यद्यपि फूलों के पराग से बनता है किन्तु इसके बनने में मधुमक्खी का महत्वपूर्ण स्थान होता है या हम यह भी कह सकते हैं कि बिना मधुमक्खी के शहद का निर्माण नहीं हो सकता। इसलिए इसे पशु प्रदत्त पदार्थ की श्रेणी में रखा जाता है। यह एक पौष्टिक पदार्थ है जो शरीर को शक्तिशाली बनाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में पाया जाता है। शहद का प्रयोग विभिन्न औषधियों के साथ किया जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पारम्परिक गृह विज्ञान और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता एवं भारतीय गृह वैज्ञानिकों के द्वारा दिये गये योगदान की व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- NIPCCD के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- 'भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद' (I.C.M.R.) के विषय में विस्तृत रूप से बताइए।
  4. प्रश्न- केन्द्रीय आहार तकनीकी अनुसंधान परिषद (CFTRI) के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- NIPCCD से आप समझते हैं? संक्षेप में बताइये।
  6. प्रश्न- केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिक अनुसंधान संस्थान के विषय में आप क्या जानते हैं?
  7. प्रश्न- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- कोशिका किसे कहते हैं? इसकी संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए तथा जीवित कोशिकाओं के लक्षण, गुण, एवं कार्य भी बताइए।
  9. प्रश्न- कोशिकाओं के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- प्लाज्मा झिल्ली की रचना, स्वभाव, जीवात्जनन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का 'पावर हाउस' कहलाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  12. प्रश्न- केन्द्रक के विभिन्न घटकों के नाम बताइये। प्रत्येक के कार्य का भी वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- केन्द्रक का महत्व समझाइये।
  14. प्रश्न- पाचन तन्त्र का सचित्र विस्तृत वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- पाचन क्रिया में सहायक अंगों का वर्णन कीजिए तथा भोजन का अवशोषण किस प्रकार होता है?
  16. प्रश्न- पाचन तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य पाचक रसों का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा पाचन क्रिया में इनकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- आमाशय में पाचन क्रिया, छोटी आँत में भोजन का पाचन, पित्त रस तथा अग्न्याशयिक रस और आँत रस की क्रियाविधि बताइए।
  18. प्रश्न- लार ग्रन्थियों के बारे में बताइए तथा ये किस-किस नाम से जानी जाती हैं?
  19. प्रश्न- पित्ताशय के बारे में लिखिए।
  20. प्रश्न- आँत रस की क्रियाविधि किस प्रकार होती है।
  21. प्रश्न- श्वसन क्रिया से आप क्या समझती हैं? श्वसन तन्त्र के अंग कौन-कौन से होते हैं तथा इसकी क्रियाविधि और महत्व भी बताइए।
  22. प्रश्न- श्वासोच्छ्वास क्या है? इसकी क्रियाविधि समझाइये। श्वसन प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन कैसे होता है?
  23. प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- बाह्य श्वसन तथा अन्तःश्वसन पर टिप्पणी लिखिए।
  25. प्रश्न- मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन का महत्व बताइए।
  26. प्रश्न- श्वास लेने तथा श्वसन में अन्तर बताइये।
  27. प्रश्न- हृदय की संरचना एवं कार्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- रक्त परिसंचरण शरीर में किस प्रकार होता है? उसकी उपयोगिता बताइए।
  29. प्रश्न- हृदय के स्नायु को शुद्ध रक्त कैसे मिलता है तथा यकृताभिसरण कैसे होता है?
  30. प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।
  31. प्रश्न- लसिका से आप क्या समझते हैं? लसिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- रक्त का जमना एक जटिल रासायनिक क्रिया है।' व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- रक्तचाप पर टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- हृदय का नामांकित चित्र बनाइए।
  35. प्रश्न- किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का रक्त क्यों नहीं चढ़ाया जा सकता?
  36. प्रश्न- लाल रक्त कणिकाओं तथा श्वेत रक्त कणिकाओं में अन्तर बताइए?
  37. प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
  38. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। (i) चयापचय (ii) उपचारार्थ आहार।
  39. प्रश्न- "पोषण एवं स्वास्थ्य का आपस में पारस्परिक सम्बन्ध है।' इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  40. प्रश्न- अभिशोषण तथा चयापचय को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
  43. प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
  44. प्रश्न- आमाशय में पाचन के चरण लिखिए।
  45. प्रश्न- मैक्रो एवं माइक्रो पोषण से आप क्या समझते हो तथा इनकी प्राप्ति स्रोत एवं कमी के प्रभाव क्या-क्या होते हैं?
  46. प्रश्न- आधारीय भोज्य समूहों की भोजन में क्या उपयोगिता है? सात वर्गीय भोज्य समूहों की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- “दूध सभी के लिए सम्पूर्ण आहार है।" समझाइए।
  48. प्रश्न- आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए। (क) मसाले (ख) तृण धान्य।
  49. प्रश्न- अण्डे की संरचना लिखिए।
  50. प्रश्न- पाचन, अभिशोषण व चयापचय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- आहार में दाल की उपयोगिता बताइए।
  52. प्रश्न- दूध में कौन से तत्व उपस्थित नहीं होते?
  53. प्रश्न- सोयाबीन का पौष्टिक मूल्य व आहार में इसका महत्व क्या है?
  54. प्रश्न- फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्व व आहार में फलों का महत्व बताइए।
  55. प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
  58. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
  59. प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
  60. प्रश्न- वसा का अर्थ बताइए तथा उसका वर्गीकरण समझाइए।
  61. प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
  62. प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
  64. प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  67. प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
  68. प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
  69. प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
  70. प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
  71. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
  73. प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
  74. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
  75. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
  76. प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
  77. प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
  78. प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
  79. प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
  80. प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
  81. प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
  83. प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
  84. प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
  85. प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
  86. प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
  87. प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
  88. प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
  89. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  90. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  91. प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  92. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  95. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
  96. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  97. प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  98. प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
  99. प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
  100. प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
  101. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
  103. प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
  104. प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  105. प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
  106. प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
  107. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
  108. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
  109. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
  110. प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
  111. प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  112. प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
  113. प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
  114. प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
  115. प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
  116. प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
  117. प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
  118. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  119. प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
  120. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
  121. प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
  122. प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
  123. प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
  124. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  125. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  126. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
  127. प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
  128. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
  129. प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
  130. प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
  131. प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
  132. प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
  134. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  135. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
  136. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
  137. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
  139. प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
  140. प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
  141. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  142. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
  143. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
  144. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?

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